डारालाकाशाहा मंत्रविद्या की जननी देवियाँ ।। डाकिनी विद्या


डारालाकाशाहा मंत्रविद्या की जननी देवियाँ ।।
डाकिनी विद्या




०१..अऋॄलृलॄअंअ:डाकिनी बीज मंत्र(16अक्षर)
०२..क ....राकिनी बीज मंत्र(10 अक्षर)
०३..टन....लाकिनी बीज मंत्र(10 अक्षर)
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०४..पल....काकिनी बीज मंत्र(8 अक्षर)
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०५..वस....शाकिनी बीज मंत्र(4 अक्षर)
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०६..हक्ष....हांकिनी बीज मंत्र(3 अक्षर)
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०७.अ ऋॄ लृलॄ अं अ:....(सत्व स्वरूपिनी देवी 16 अक्षर)
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०८..कथ...(रजः स्वरूपिणी देवी 17 अक्षर)
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०९..दक्ष...(तम् स्वरूपिणी देवी 18अक्षर)
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१०..अ ऋॄ लृलॄ अं अ:
क्ष...(मातृका मंत्र 50 अक्षर)

डाकिनी,राकिनी,लाकिनी,काकिनी,शाकिनी एवं हाकिनी ये सतोगुणी देवीशक्तिया है ये समस्त देवियां एवं गुरु को मिलाकर मुख्य 51 ही मूर्तियाँ होती है।जिसमे गुरु का बीज मंत्र "गुरु"सबद ही है।इसमें डाकिनी अणिमा सिद्धि,राकिनी लघिमा सिद्धि,लाकिनी कामय सिद्धि,कालिनी प्राप्ति सिद्धि एवं शाकिनी महिमा सिद्धि प्रदान करने वाली है।हाकिनी से काम्यकर्म एवं।वशीकरण जैसी सिद्धि प्राप्त होती है।इसके अतिरिक्त मातृकां बिज मंत्र का अनुलोम-विलोम रूप से 250000 जाप करने से सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती है।ये तीनो देवियो से धर्म,अर्थ,काम एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है वही गुरु बीज मंत्र से ब्रह्मांडीय ज्ञान की प्राप्ति होती है।
इन छः देवीके क्रमशः 6 अधिदेवता होते है यदि आप किसी भी अक्षर को अकेला पढ़ते है तो उस अक्षर के फल को ते डाकिनिया हरण कर लेती है इसीकारण आपने देखा होगा की मंत्रो को एकानकी नहीं जपा जाता है इन्हें जपने के लिए बिंदु या मात्राओ का उपयोग किया जाता है जैसे अं ऐं ह्रीं इत्यादि।
इन देवियो के अपने अपने ध्यान मंत्र भी है जिसमे ये बताया जाता है की ये  देवियाँ दिखती कैसी है एवं इन्होंने कौन से शास्त्र धारण कर रखे है,ये कौन से आसान में विराजमान है।जिनका उल्लेख भविष्य की पोस्ट में अवश्य किया जाएगा।क्योकि 6 देवियो के मुख्य ध्यान एवं 50 अक्षरो के 50 ध्यान लिखना कोई सामान्य विषय नहीं है ।
इनमे ध्यान रखने की बात ये है की सभी देवियो के अक्षरो से उनके मूल मंत्र का निर्माण किया जाता है।जैसे अं डाकण्यै नमः,कं राकण्यै नमः इत्यादि।
इन मंत्रो को विस्तृत रूप से समझाने के लिए ,यहाँ मुझे लिखते लिखते कई वर्ष लग जायेगे किन्तु फिर भी मैं इस विद्या को पूर्ण रूप से नहीं लिख पाउगा।अतः अपनी बुद्धि का प्रयोग कर समझने का प्रयास करे।आपको समझाने के लिए एक शब्द का यहाँ मैं चयन कर रहा हु आशा है की आपको मैं समझा पाउँगा।
एक शब्द लेते है जैसे "महाकाल"
इस महाकाल सबद का विश्लेषण करने का प्रयास करेगे।
म +ह +आ +क +आ +ल
इसमें
म(काकिनी)
ह(हाकिनी)
आ(डाकिनी)
क(राकिनी)
आ(डाकिनी)
ल(लाकीनी)
इस प्रकार आपने देखा एक नाम को लिखने में अलग-अलग देवियो तक ऊर्जा का आवागमन होने से एक शब्द का निर्माण होता है इस महाकाल सबद में मुख्य रूप से चार दैविक शक्ति द्वारा ऊर्जाओं का निर्माण होता है इसी प्रकार हर मंत्र में शक्ति का क्रम एवम् चक्र की जानकारी रखना आवश्यक होती है जिससे की आपके समक्ष यदि कोई गलत प्रिंट हुआ मंत्र भी आ जाए तो आप उसका समाधान कर पाये।
ऊपर लिए गए एकाँकी शब्द मात्र संगीत के एक वाद्य के प्रत्येक बिट के समान  है जैसे प्यानो एवं हारमोनियम में होते है जब तक इनको एक सही क्रम में ना जोड़ा जाए तब तक मधुर स्वर ध्वनि का निर्माण नहीं होता उसी प्रकार इन मंत्र अक्षरो को भी एक सही क्रम में रखकर साधना करना ही सिद्धि का मुख्य द्वार है।ऊपर दिए गए डाकिनियो के मूल मंत्र जो 10,12 और 14 अक्षरी होते है उनके आगे गुरु बिज मंत्र (गुरु)या गुरु मुख दिए गुरु मंत्र (ॐ शिवगोरक्ष योगी)का सम्पुटित जाप करने से ये सबद ब्रह्मांड(मस्तिष्क)में कम्पन कर सिद्धि प्रदान करते है।
संसार के सारे देवी देवता फिर वो कितनी भी संख्या में हो या किसी भी धर्म के हो ,उनकी नाम साधना इस विधि से की जा सकती है।इसे ही आप ब्रह्म विद्या भी कह सकते है सभी देवी देवता,दशमहाविद्या,महादेव,महाकाल,विष्णु इत्यादि सभी की जननी यही विद्या है।
इन डाकिनियो की पूजा घोररात्रि ,महारात्रि ,ग्रहणकाल या मात्र रात्रि में सुन्दर सुगंध के बिच करनी चाहिए।जो भगत है और साधक है उनके पास चयन के लिए दो विषय है या तो वो प्रत्येक देवता को सिद्ध करे जिनकी संख्या पौत्राणिक ग्रंथो में 33 कोटि बताई गई है जिनको सिद्ध करना मुमकिन नहीं लगता या फिर इस मंत्र विद्या के 50 अक्षरो को सिद्ध करना चाहिए जिससे स्वयं मंत्र बनाने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।तंत्र जगत में डाकिनियो के रूप को बहुत डरावना एवं रहस्य मई दिखाया जाता है।किन्तु ऐसा कुछ नहीं ये वे देवियाँ है जो आपके संदेशो को एकत्रित कर या बना कर अपने गंतव्य तक पहुचाने में सक्षम।होती है जिसे "डाक" सन्देश ले जाना कहा जाता है इसी कारण इनका मुख्य नाम डाकीनी रखा गया है जो आपके संदेशो को अपने गंतव्य तक पहुचाने का कार्य करती है।ऊपर दी गई अक्षरो की संख्या भगवान शिव द्वारा बताई गई है।किन्तु इसका विश्लेषण करने का प्रयास हमने अपनी लघु बुद्धि द्वारा ही किया है।
इन देवियो से सम्बंधित अन्य जानकारियो को भविष्य में इस पोस्ट में जोड़ा जाएगा
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार)     

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