इस बार खास है करवाचौथ, 12 साल बाद बन रहा है महासंयोग

इस बार खास है करवाचौथ, 12 साल बाद बन रहा है महासंयोग



करवाचौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है, जिसमें चंद्रदर्शन और पूजन के बाद ही पूर्ण माना जाता है। हर साल करवाचौथ एक जैसा ही होता है, लेकिन इस बार यह व्रत कुछ खास है। क्योंकि इस बार करवाचौथ पर विशेष महासंयोग बन रहा है।
दरअसल इस साल करवाचौथ पर अमृतसिद्धि योग बन रहा है। खास बात यह है कि इस साल करवाचौथ पर शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह संयोग सौभाग्यदायक है और सुहागन महिलाओं के लिए इस समय चंद्रदर्शन और पूजन का विशेष फल देने वाला है।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार शनिवार को रात 8.21 बजे चंद्रोदय होगा। जिसके बाद सुहागन महिलाएं चंद्रदर्शन और पूजन के बाद जल ग्रहण कर व्रत का समापन करेंगी।
यह है करवा चौथ के व्रत और पूजन की उत्तम विधि, इस प्रकार व्रत करने से आपको व्रत का 100 गुना फल मिलेगा।
र्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें।
फिर मिठाई, फल, सेंवई और पूड़ी की सरगी ग्रहण कर व्रत शुरू करें।
संपूर्ण शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना करें।
गणेश जी को पीले फूलों की माला, लड्डू और केले चढ़ाएं।

भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े का भोग लगाएं।
उनके सामने मोगरा या चन्दन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं।
मिटटी के कर्वे पर रोली से स्वस्तिक बनाएं।
कर्वे में दूध, जल और गुलाब जल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार जरूर करें, इससे सौंदर्य बढ़ता है।
इस दिन करवा चौथ की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिए।
कथा सुनने के बाद अपने घर के सभी बड़ों का चरण स्पर्श करना चाहिए।

पति की दीर्घायु की कामना कर पढ़ें यह मंत्र : -

'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।'
करवे पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवे पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। 13 दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।
विशेष : चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें।

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