गंगा की उत्पत्ति का क्या है राज़

गंगा की उत्पत्ति का क्या है राज़


इतिहास की एक पुस्तक भारतगाथाहै, जिसके लेखक सूर्यकान्त बाली हैं, वह बताते हैं कि भागीरथ जी अयोध्या के ही एक राजा थे।
अयोध्या के कई लोगों ने गंगा को धरती पर लाने का प्रयास किया था लेकिन भागीरथ जी इसमें पूरी तरह से सफल हो पाए थे। बता दें कि भागीरथ अयोध्या के इक्ष्वाकुंशी सम्राट थे।
पौराणिक कथाओं की मानें तो गंगा जी भगवान विष्णु के पैरों के नखों से निकली हैं और ब्रह्मा जी के कमंडल में रहती हैं। वहीं, स्वर्ग में गंगा मन्दाकिनी के नाम से भी जानी जाती हैं। स्वर्ग से धरती पर मां गंगा को लाने का श्रेय अयोध्या के इक्ष्वाकु वंशीय राजा भगीरथ को दिया जाता है।
यही है वह जिन्होंने कपिल मुनि के श्राप से भस्म होकर अपने साठ हजार पूर्वजों की भटकती आत्माओं की मुक्ति के लिए ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर मां गंगा को पृथ्वी पर लाए थे। जान लें कि धरती पर उतरने से पहले गंगा भगवान शिव की जटाओं में ही समां गईं थीं।
भगवान शिव की जटाओं से निकलकर गंगा की अविरल धारा भगीरथ के पीछे-पीछे चलते हुए, बंगाल के गंगा सागर संगम पर स्थित कपिल मुनि के आश्रम में आईं।
यहाँ पर कपिल मुनि के श्राप से जलकर भस्म हो चुके भगीरथ के पूर्वजों की साठ हजार राख की ढेरियां ज्यों ही गंगा के पवित्र जल में डूबीं, त्यों ही भूत बनकर भटक रहे भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार हो गया और उन्हें प्रेत योनि से छुटकारा मिल गया था।
जब राम सेतु को आप सच मानते हैं तो उसी रामायण में यह जिक्र आता है कि भगीरथी ने ही गंगा की खोज की और गंगा को जमीन पर लाए थे। बता दें कि विष्णु पुराण के अन्दर एक अध्याय में भी भागीरथी का नाम लिया गया है और बोला गया है कि भागीरथी ही गंगा को जमीन पर लाए थे। वहीं बात अगर महाभारत की करें तो इसके अन्दर तो गंगा जी को पूरे एक पात्र रूप में ही पेश किया गया है।
गंगा की जो कहानी हमारे शास्त्र बताते हैं, वह शतप्रतिशत सच है। असल में भागीरथी ने वाकई में गंगा को जमीन पर लाने के लिए विशेष प्रयास किया था। सोचने वाली बात यह है कि अगर गंगा की यह कहानी झूठी होती तो सभी जगह एक जैसी कहानी होने की संभावना कम ही था।

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