इस शरद पूनम पर कर लीजिए धन के राजा कुबेर को प्रसन्न, पढ़ना होगा बस एक छोटा सा मंत्र
इस शरद पूनम पर कर लीजिए धन के राजा कुबेर को प्रसन्न, पढ़ना होगा बस एक छोटा सा मंत्र
कुबेर होते हैं प्रसन्न शरद पूर्णिमा की रात, पढ़ें यह मंत्र
कुबेर धन के राजा हैं। पृथ्वीलोक की समस्त धन
संपदा का एकमात्र उन्हें ही स्वामी बनाया गया है। कुबेर भगवान शिव के परमप्रिय
सेवक भी हैं। धन के अधिपति होने के कारण इन्हें शरद पूर्णिमा की रात मंत्र साधना द्वारा
प्रसन्न करने का विधान बताया गया है। प्रस्तुत है मंत्र ...
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन
धान्याधिपतये
धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय दापय
स्वाहा।।
शरद पूर्णिमा अन्य सभी पूर्णिमा से अधिक महत्व की होती है। इस दिन आकाश
में चंद्र अपनी संपूर्ण 64 कलाओं के साथ अधिक खूबसूरत दिखाई देता है। इस साल 2018 में शरद पूनम 24 अक्टूबर को है। आइए जानें इन
15 बातों से कि क्या
करें इस दिन... शरद पूर्णिमा को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में सोकर उठें।
* पश्चात नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान करें।
* स्वयं स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने आराध्य देव को स्नान कराकर उन्हें
सुंदर वस्त्राभूषणों से सुशोभित करें।
* इसके बाद उन्हें आसन दें।
* अंब, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से अपने आराध्य देव का पूजन करें।
* गाय के दूध से बनी खीर में घी तथा शकर मिलाएं, मीठी पूरियों की
रसोई सहित अर्द्धरात्रि के समय भगवान को भोग लगाएं।
* पश्चात व्रत कथा सुनें। इसके लिए एक लोटे में जल तथा गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में
रोली तथा चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाएं।
* फिर तिलक करने के बाद गेहूं के 13
दाने हाथ में लेकर कथा सुनें।
* तत्पश्चात गेहूं के गिलास पर हाथ फेरकर मिश्राणी के पांव का स्पर्श
करके गेहूं का गिलास उन्हें दे दें।
* अंत में लोटे के जल से रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें।
* सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करें और रात्रि जागरण कर भगवद्
भजन करें।
* चांद की रोशनी में सुई में धागा अवश्य पिरोएं।
* निरोग रहने के लिए पूर्ण चंद्रमा जब आकाश के मध्य में स्थित हो, तब उसका पूजन करें।
* रात को ही खीर से भरी थाली खुली चांदनी में रख दें।
* दूसरे दिन सबको उसका प्रसाद दें तथा स्वयं भी ग्रहण करें।
शरद पूर्णिमा बड़ी ही उत्तम तिथि है शरद
पूर्णिमा। इसे कोजागरी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। कहते हैं यह दिन इतना
शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन मां
लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए धन प्राप्ति के लिए यह तिथि सबसे उत्तम मानी जाती
है। इस दिन प्रेमावतार भगवान श्रीकृष्ण, धन की देवी मां लक्ष्मी और सोलह कलाओं वाले चंद्रमा की उपासना से
अलग-अलग वरदान प्राप्त किए जाते हैं।
शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है, इसी तिथि से शरद ऋतु
का आरम्भ होता है.
इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त
होता है.
इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों
देती है.
प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री
कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था.
इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन सेहत, अपार प्रेम और खूब
सारा धन पाया जा सकता है
पर प्रयोगों के लिए कुछ सावधानियों और नियमों के
पालन की आवश्यकता है.
शरद पूर्णिमा पर यदि आप कोई महाप्रयोग कर रहे हैं
तो पहले इस तिथि के नियमों और सावधानियों के बारे में जान लेना जरूरी है.
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
पूर्णिमा के दिन
सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए।
इन्द्र और
महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी
चाहिए।
ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें
दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से
किया जाता है. इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन
करना चाहिए।
मंदिर में खीर आदि
दान करने का विधि-विधान है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत
बरसता है।
शरद पूर्णिमा की सावधानियां
इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास
रखने का प्रयास करें।
उपवास ना भी रखें तो
भी इस दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए।
शरीर के शुद्ध और
खाली रहने से आप ज्यादा बेहतर तरीके से अमृत की प्राप्ति कर पाएंगे।
इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें, चमकदार सफेद रंग के
वस्त्र धारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
Post a Comment