धार्मिक ग्रंथो के अनुसार इन 7 पर कभी भी शक नहीं करना चाहिए
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार इन 7 पर कभी भी शक नहीं
करना चाहिए
कहा जाता है मनुष्य जैसा सोचता है, उसके साथ वैसा ही होता है। इसलिए हमें अच्छी सोच
रखने की बात कही जाती है। ग्रंथों में ऐसे 7 लोगों
के बारे में बताया गया है, जिन पर यदि हम भरोसा न रखें या जिनके
काम पर शंका करें, तो हमें पॉजिटिव रिजल्ट कभी नहीं
मिलता। जानिए कौन हैं ये 7 लोग-
श्लोक
देवे तीर्थे द्विजे
मंत्रे दैवज्ञे भेषजे गुरौ।
याद्रशी भावना यस्य सिद्धिर्भवति ताद्रशी
याद्रशी भावना यस्य सिद्धिर्भवति ताद्रशी
1. भगवान
लोगों में देवी और
देवताओं को लेकर दो तरह की सोच पाई जाती है- आस्तिक और नास्तिक। जो लोग देव भक्ति
में विश्वास रखते हैं, उन्हें
आस्तिक कहा जाता है और जो भगवान में विश्वार नहीं रखते उन्हें नास्तिक। कई बार
हमारा कोई काम या मनोकामना पूरी न होने पर हम भगवान पर विश्वास करना छोड़ देते
हैं। उन पर से हमारी आस्था खत्म हो जाती है। जो लोग देवी-देवताओं में आस्था नहीं
रखते हैं, उन्हें
अपनी सोच के मुताबिक ही फल मिलता है। आज हमें परेशानियों का सामना क्यों न करना
पड़ रहा हो, लेकिन
भगवान के प्रति आस्था रखने पर हमें उसका शुभ परिणाम जरूर मिलेगा। इसलिए भगवान के
प्रति हमेशा पॉजिटिव सोच रखनी चाहिए।
2. डॉक्टर
कहते हैं बड़े से
बड़े रोग का इलाज किया जा सकता है, जरूरत है तो केवल
विश्वास रखने की। कई बार लोगों के कहने पर या किसी भी अन्य कारण से कुछ डॉक्टरों
या चिकित्सकों को लेकर हमारी सोच नेगेटिव हो जाती है। ऐसे में उस डॉक्टर से हम
कितना भी इलाज करवा लें लेकिन हमें उसका कोई असर नहीं होता। यदि हमें अपने रोग से
छुटकाना पाना है तो अपने चिकित्सक पर विश्वार करें।
3. गुरु
जीवन में सफलता
पाने के लिए एक श्रेष्ठ गुरु का होना बहुत जरूरी माना गया है। गुरु ही मनुष्य को
सही और गलत में फर्क करना और उसकी जिम्मेदारियों का पालन करना सिखाता है। जो
व्यक्ति अपने गुरु पर या उसकी दी गई शिक्षा पर विश्वास नहीं रखता, उसे जीवन में कई
कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अगर पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ गुरु और
उसकी शिक्षा का पालन किया जाए तो जीवन में हर सफलता पाई जा सकती है। यदि गुरु की
दी गई शिक्षा पर भरोसा न किया जाए तो हमारी सोच के जैसा ही फल भोगना पड़ता है।
4. तीर्थ
तीर्थ स्थानों में
खुद भगवान का निवास माना जाता है। तीर्थ स्थानों पर लगभग हर समय भक्तों की भीड़
लगी रहती है, जिसकी
वजह से वहां कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ जाता है। ऐसे में कभी-कभी तीर्थों
के प्रति मनुष्य की भावना नकारात्मक हो जाती है। ऐसी भावना के साथ तीर्थ की यात्रा
करने पर भी मनुष्य को उसका पुण्य नहीं मिलता है। यदि उस तीर्थ के प्रति मनुष्य की
भावना अच्छी न रहे तो पूरे विधि-विधान से तीर्थ-दर्शन करने पर भी उसका फल नहीं
मिलता। इसलिए तीर्थों के लिए मन में हमेशा ही अच्छी भावना रखनी चाहिए।
5. पंडित या ज्ञानी
शास्त्रों में
पंडितों और ज्ञानियों का बहुत महत्व बताया गया है। किसी भी शुभ काम में पंडितों की
पूजा करने और उन्हें दान देने का भी परंपरा है। परंपराओं का पालन तो हर कोई करता
है, लेकिन
बहुत ही कम लोग इसे पूरा सम्मान और आदर देते हैं। जो मनुष्य ब्राह्मणों या पंडितों
पर विश्वास नहीं करता या उनके लिए अच्छी भावना नहीं रखता, उसे कभी भी अपने
दान कर्मों का फल नहीं मिलता है। इसलिए मनुष्य को कभी भी श्रेष्ठ और योग्य पंडितों
की योग्यता पर अविश्वास नहीं करना चाहिए।
6. मंत्र
मंत्रों को
देवी-देवताओं के करीब पहुंचने के एक आसान तरीका माना जाता है। जो लोग रोज शांत मन
और पवित्र भावनाओं से भगवान के मंत्रों का जाप करते हैं, उनकी सारी
परेशानियों का हल निश्चित ही होता जाता है। जो मनुष्य घर वालों के दबाव में बिना
मन से या मंत्रों में अविश्वास की भावना
के साथ उनका
उच्चारण करता है, उसे
इनका साकारात्मक फल नहीं मिलता। इसलिए मंत्रों का पाठ
हमेशा विश्वास और आस्था के साथ करना चाहिए।
7. ज्योतिषी
ग्रहों की दशाओं को देख कर मनुष्य के कुंडली दोष और समस्याओं के
समाधान बताने वाले ज्ञाता व्यक्ति को ज्योतिषी कहा जाता है। कई लोग किसी और के
कहने पर या ज्योतिषी पर भरोसा न होने पर भी उनके पास चले जाते है। ऐसे में मनुष्य
चाहे कितने ही उपाय क्यों न कर ले, लेकिन
उसकी परेशानी का हल नहीं निकलता है। मनुष्य जैसी भावना के साथ यह काम करता है,
उसी वैसा ही फल मिलता है।
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